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बिहार चुनाव 2025: नामांकन की उलटी गिनती शुरू — सियासत में गर्मी, पार्टियों में हलचल तेज़!

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मोहम्मद आलम 

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख़ करीब आते ही सियासी पारा चढ़ गया है। 10 अक्टूबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है और उससे पहले राज्य की राजनीति में एक के बाद एक बड़े ऐलान हो रहे हैं।

जन सुराज का बड़ा कदम — 51 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी

प्रशांत किशोर की अगुवाई में जन सुराज पार्टी ने गुरुवार (9 अक्टूबर) को अपने 51 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की। इस सूची में सबसे चर्चित नाम भोजपुरी स्टार ऋतेश रंजन पांडे का है, जो रोहतास के करगहर सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे।पार्टी ने सामाजिक समरसता की झलक दिखाते हुए गोपालगंज की भोरे सीट से प्रीति किन्नर को भी प्रत्याशी बनाया है।हालांकि यह अब तक साफ़ नहीं है कि प्रशांत किशोर खुद मैदान में उतरेंगे या नहीं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक वे 11 अक्टूबर को राघोपुर से चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे — वही सीट जहाँ से तेजस्वी यादव चुनाव लड़ते हैं।

 तेजस्वी यादव का बड़ा दावा .हर घर में होगी नौकरी”

भागलपुर के कहलगांव से अपनी पहली चुनावी सभा में तेजस्वी यादव ने जनता को रोजगार का वादा करते हुए कहा ,महागठबंधन की सरकार बनी तो बिहार का कोई घर बेरोजगार नहीं रहेगा।जनता बदलाव चाहती है, और इस बार बदलाव होकर रहेगा।उनके इस बयान ने विपक्षी दलों में हलचल मचा दी है और सोशल मीडिया पर यह बयान खूब ट्रेंड कर रहा है।

लोजपा (रामविलास) में एकजुटता चिराग को मिली कमान

पटना में हुई लोजपा (रामविलास) की बैठक में नेताओं ने सर्वसम्मति से चिराग पासवान को चुनावी फैसलों का अधिकार सौंपा है।
पार्टी के चुनाव प्रभारी अरुण भारती ने कहा,बिहार की सभी 243 सीटों पर चिराग जी का निर्णय अंतिम होगा।इस फैसले से एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग की तस्वीर अब साफ़ होती नज़र आ रही है।

 RJD को झटका — भभुआ विधायक भारत बिंद का इस्तीफा

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले RJD विधायक भारत बिंद ने पार्टी और विधायक पद दोनों से इस्तीफा दे दिया है।उन्होंने ऐलान किया कि वे आगामी चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ेंगे।इससे महागठबंधन के भीतर नाराज़गी और टूट के संकेत मिल रहे हैं। सुरक्षा के सख्त इंतज़ाम — 4 लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात
राज्य के डीजीपी विनय कुमार ने जानकारी दी कि निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव के लिए 4 लाख से ज़्यादा सुरक्षाकर्मी बिहार के हर कोने में तैनात किए जाएंगे।उन्होंने बताया कि इस बार नक्सल प्रभावित इलाकों में भी हालात सामान्य हैं, इसलिए किसी मतदान केंद्र को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा।
साथ ही सुरक्षाकर्मी इस बार हेलिकॉप्टर से नहीं, बल्कि सड़क मार्ग से अपने गंतव्य तक पहुँचेंगे।

 निष्कर्ष:

बिहार की राजनीति एक बार फिर अपने निर्णायक मोड़ पर है —
जहाँ एक ओर वादों की बरसात है, वहीं दूसरी तरफ़ उम्मीदवारों की होड़।अब देखना यह है कि जनता किसके सुर पर “लोकतंत्र का रण” जीतने का फैसला सुनाती है।

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